Monday, April 20, 2009

मंदी के दौर में इस्तीफा देने वाले की मानसिक हालात क्या हो सकते हैं?

आज मेरे सामने ही देखते-देखते एक व्यक्ति ने अपना इस्तीफा पकड़ा दिया.. मेरी ही टीम का बंदा था.. उसके पास कोई और विकल्प भी नहीं था जिससे वह खुशी-खुशी अपना इस्तीफा दे सके और कहीं दुसरी जगह अच्छे पद पर जा सके.. बहुत कम बोलने वाले व्यक्ति थे, मगर मुझसे दिल खोल कर बातें किया करते थे.. जब से उन्होंने इस्तीफा दिया है तब से मेरी उनसे कोई बात नहीं हुई है, उनकी लगातार पिछले 6-7 घंटों से मीटींग ही चल रही है एच.आर. वालों के साथ..

मैं तभी से बस यही सोच रहा हूं कि ऐसी आर्थिक मंदी के दौर में जहां किसी के पास कोई और विकल्प नहीं हो, जो बहुत ज्यादा तेज-तर्रार(स्मार्ट) ना हो.. वो किन मानसिक हालातों में नौकरी से त्यागपत्र दे सकता है? कुछ उत्तर तो मैं खुद भी समझ सकता हूं, जैसे उन पर मैनेजमेंट का बहुत ज्यादा दबाव आ रहा था अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिये.. जिसे वह सह नहीं सके होंगे.. बाकी का कुछ पता नहीं.. कहीं यह भी कहीं ना कहीं से आर्थिक मंदी के शिकार होकर ही तो इस्तीफा देकर तो नहीं जा रहे हैं? क्योंकि अगर आर्थिक मंदी का दौर ना होता तो शायद मैनेजमेंट भी उनके ऊपर इतना दबाव कभी नहीं बनाता..

2 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप का साथी बहुत विपत्ति में है। इस समय आप यदि उन से कुछ सहानुभूति की बात भी करेंगे तो उन्हें कांटे जैसी चुभेगी।
क्या इन मंदियों को नहीं रोका जा सकता?
यदि नहीं तो दुनिया के सभी अर्थशास्त्रियों का असली स्थान प्रशांत महासागर का तल ही हो सकता है।

Udan Tashtari said...

क्या कहें..हम तो खुद इसी तैयारी में हैं इस दौर में..वैसे नया व्यापार शुरु करने को इससे बेहतर दौर फिर नहीं मिलेगा. :)